क्या लिखा जाए ?
क्या लिखा जाए ?
क्या लिखा जाए ?
उडते बादलों के
चित्र देखे जाए
जज़्बात के घनेरे जंगल में
कितने सच और कितने झूठ एहसास
ढूंढ लिए जाए
क्या सोचा जाए ?
यही की ख्वाब का शजर
हमेशा हमेशा खिलता देखा जाए
क्या कहा जाए ?
वो अश्क जो बहते नही
वो चुपचाप किताब के पन्नो मे सिमट जाए
और गहरा नक्श छोड जाए
क्यु न यही लिखा जाए
और यही महसूस किया जाए
