क्या हो गया
क्या हो गया
ये क्या हो गया
अबकी होली में
उदासी चहक रही है
गुलाबी दुपट्टे में
अविश्वस कबीर गा रहा है
नफरत ने प्यार का
तरन्नुम छेड़ा हुआ है
रात धवल चांदनी की तरह
चमक रही है।
अजीब मौसम है
कायनात ही नहीं
मन भी रंगा गया है
चाहत के रंग में।
ये क्या हो गया
अबकी होली में
उदासी चहक रही है
गुलाबी दुपट्टे में
अविश्वस कबीर गा रहा है
नफरत ने प्यार का
तरन्नुम छेड़ा हुआ है
रात धवल चांदनी की तरह
चमक रही है।
अजीब मौसम है
कायनात ही नहीं
मन भी रंगा गया है
चाहत के रंग में।