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Sonam Kewat

Abstract Fantasy Others

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Sonam Kewat

Abstract Fantasy Others

क्या भगवान होते हैं?

क्या भगवान होते हैं?

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मैं कभी कभी सोचती हूं कि 

जो लोग भगवान को मानते हैं,

क्या सिर्फ तसल्ली में रह जाते हैं?

भगवान सब कुछ देख रहा है

भगवान सब कुछ ठीक कर देगा

भगवान ही मेरा साथी है

भगवान ही मेरा सहारा है

क्या इसी तसल्ली के साथ जिंदगी का 

आखिरी दिन भी टूट जाता है?


या फिर कोई आता है, कोई सच में आता है,

जो भगवान की कही बातों पर सच होता है।

क्या कोई होता है जो कहता है,

कि हां भगवान ने मुझे तुम्हारे लिए भेजा है?

वैसे शायद यह तो मुमकिन नहीं है 

ये सारी बेतूकी बातें किससे पूछूं?

ये मन की बातें किसे सुनाऊं?

कुछ समझ में नहीं आता

वैसे जब बातें समझ में ना आए 

तो पन्नों पर लिखकर छोड़ देना चाहिए

कोई तरीका भी नहीं है 

आखिर सुनने और सुनाने को कौन है?


पर अगर लिखने के बाद भी 

सवाल के जवाब ना मिले तो? 

सवाल तो फिर भी सवाल ही है 

मन में यही सवाल आता है कि 

क्या भगवान नहीं आ सकते सामने?

क्या बुलाने पर भी नहीं आ सकते?

और अगर नहीं आते तो फिर 

लोगो ने भगवान को कैसे देखा है

अगर देखा है तो सामने क्यों नहीं है 

और नहीं दे

खा तो शायद तसल्ली ही सही है...



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