कविता
कविता
लाल बहादुर शास्त्री जी थे वो।
बचपन जिसका कष्ट भरा था।
कठिनाई से नहीं डरा थे।
जीवन जिसका सीधा सादा।
दृढ़ निश्चय में बहुत खरा था ।
भिड़ा अनेक बाधाओं से।
उस जैसा भिड़ना होगा।
लाल बहादुर शास्त्री जैसा।
हमको भी बनना होगा।
जिसने बहुत गरीबी देखी।
जिसने देखी अमीरी भी बहुत।
लेकिन अविचल रहा सदा वह।
जिसने जंग करीबी देखी।
पदचिह्नों पर उनके मिल कर।
हम सबको चलना होगा।
लाल बहादुर शास्त्री जैसा।
हमको भी बनना होगा ।
लाल बहादुर शास्त्री वे थे।
इस धरती के रखवारे।
उनके ही दृढ़ अनुशासन से,
वह 'पाक' हिन्द से हारा था।
'जय जवान' और 'जय किसान'
यह उनका ही तो नारा था।
देश को दिया यही नारा था,
जय जवान जय किसान।
