कविता या कहानी
कविता या कहानी
जब हम छोटे बच्चे थे तब काफी शैतानियाँ करते थे
कही ना कही आज भी करते हैं
आखिर दुनिया के लिए कितने भी बड़े हो जाओ
दिल तो फिर भी एक बच्चे जैसा ही है
ये नादानी नहीं मासूमियत है।
जब हम बच्चे थे तब दादी नानी से
रोज रात को सोने से पहले कविता या कहानी सुनाती थी
उसके बगैर तो जैसे निद ही नहीं आती हो
पर वो एक अलग ही मजा होता था
पर आज कल तो सब कुछ बदल गया है
हम हमारे जीवन में मोबाइल की ज्यादा जगह हो गई है
उन सारी चीजों के बारे में सुनना तो बहुत दूर की बात है
कविता या कहानी सुनने का तो सवाल नहीं आता।
यह एक कटु सत्य है
जिसे हम चाहकर भी झूठला नहीं सकते।