STORYMIRROR

Rupal Sanghavi "ઋજુ"

Fantasy Inspirational

4  

Rupal Sanghavi "ઋજુ"

Fantasy Inspirational

कवि जब लिखता..

कवि जब लिखता..

1 min
258

यह काव्य की शुरुआती एक पंक्ति, "कवि जब लिखता काव्य नवीन" मैंने कहीँ पढ़ी थी। साभार उस अनजान कवि की कविता से....


कवि जब लिखता काव्य नवीन

नौरस में जब डूबे कलम

शब्दोंमें भरता भाव हसिन

रंग भी हो जाते रंगीन


आहें, आंसू, चीखता मौन

हंसते होंठ,भीगा दामन

समय रेत सा सरता जीवन

कवि जब लिखता काव्य नवीन


कल्पन की सैर पे ले चलता मन

आग का दरिया फूलों का आंगन

गुन गुन भँवरों का गूंजन

कवि जब लिखता काव्य नवीन।


प्रेमकी परिभाषा है नैनन

धड़कन में बजती है सरगम

सांसे ज्यूँ हो मुरली की धुन

कवि जब लिखता काव्य नवीन।


चांदनी में झुलसे हैं बिरहिन 

पिया मिलन को व्याकुल है मन

दिल हो जैसे सागर मंथन

कवि जब लिखता काव्य नवीन।


प्रकृति का प्रणय निवेदन

भोर की पहली सोन किरण

चहके पंछी, महके उपवन

कवि जब लिखता काव्य नवीन।


ऊंचे पर्बत चूमे है गगन

निष्छल झरने, झूमती पवन

सलिला का सिंधु से संगम

कवि जब लिखता काव्य नवीन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy