कुर्सी की दौड़
कुर्सी की दौड़
आज अकेला बनके बहादुर,
कल्ला गया क्लास में I
चीख पड़ा क्या देख लिया,
जो भागा बदहवास में I
आकर बोला मास्टर जी से,
गलती हो गई होड़ में I
सांसें हैं सबकी अटक जाएंगी,
चलती कुर्सी की दौड़ में I
सारे बच्चे बोल रहे हैं,
कक्षा में कोई मत जाना I
हिलती हैं सारी कुर्सी वहां,
मुश्किल होता है पढ़ पाना I

