Randhir Singh Dheeru
Tragedy
जल्दी है सबको लगी, जल्दी का पैगाम।
जल्दी इतनी मच रही, बिगड़ो चाहे काम।।
बिगड़ो चाहे काम, मची है अफरातफरी।
झट होते नाराज, अचानक रूहें बिफरी।।
कह धीरू कविराय, रंग सच्चा है हल्दी।
बनकर तू शैतान, मचाता इतनी जल्दी।।
अच्छे बुरे इं...
"दुर्जन"
"पति -पत्नी "
"मांं "
* कुंडलियां *
मुख पर कहना
कुंडलियां
बैठीं अन्य नारीयॉं व्यथित, हैं प्रतीक्षारत बारी की अपनी।। बैठीं अन्य नारीयॉं व्यथित, हैं प्रतीक्षारत बारी की अपनी।।
तुम्हारी यादों में बैठे हम कविता बनाते चले गये। तुम्हारी यादों में बैठे हम कविता बनाते चले गये।
बुझते हुए दिये की, लौ को तो क्या बढ़ाना.... दिये का ही किसी ने, नामों-निशां मिटाया। बुझते हुए दिये की, लौ को तो क्या बढ़ाना.... दिये का ही किसी ने, नामों-न...
पेड़ पौधों को रोपने को मानें अपने जीवन का लक्ष्य महान। पेड़ पौधों को रोपने को मानें अपने जीवन का लक्ष्य महान।
जिंदगियों के सवाल इस पार भी उस पार भी। जिंदगियों के सवाल इस पार भी उस पार भी।
जिंदगी छोटी है वक्त है कीमती मैं तुझे देता हूं। जिंदगी छोटी है वक्त है कीमती मैं तुझे देता हूं।
याद नहीं कब उनके ख्वाब मेरी आँखों में कैद हुये याद नहीं कब उनके ख्वाब मेरी आँखों में कैद हुये
अगर हमें पर्यावरण को बचाना है, कसम खाओ नित्य एक पेड़ लगाना है। अगर हमें पर्यावरण को बचाना है, कसम खाओ नित्य एक पेड़ लगाना है।
थाम के उम्मीद का दामन चले तो। अंधेरों से रोशनी आती रही। थाम के उम्मीद का दामन चले तो। अंधेरों से रोशनी आती रही।
है जो खूनी खेल मुर्ग़ों का, चला आ रहा खेल यह मनोरंजन के लिये। है जो खूनी खेल मुर्ग़ों का, चला आ रहा खेल यह मनोरंजन के लिये।
तुम ठीक कहती हो, युद्ध किसी समस्या का हल नहीं। तुम ठीक कहती हो, युद्ध किसी समस्या का हल नहीं।
ये ग़म का अंधेरा मुझे हर बार डरा जाता है। ये ग़म का अंधेरा मुझे हर बार डरा जाता है।
वहाँ हमारी खुशियाँ का खजाना था बस दिपक जलाने भर की देरी थी। वहाँ हमारी खुशियाँ का खजाना था बस दिपक जलाने भर की देरी थी।
मैं कभी निहत्था था ही नही मेरे पास थी कलम की ताकत। मैं कभी निहत्था था ही नही मेरे पास थी कलम की ताकत।
ऐसे ना परेशान बनो भीड़ भरी इस दुनिया में ऐसे ना परेशान बनो भीड़ भरी इस दुनिया में
वक्त बड़ा जल्दबाज होता है वो कभी ठहरता नहीं। वक्त बड़ा जल्दबाज होता है वो कभी ठहरता नहीं।
उस दुनिया में एक्सप्लेनेशन फैल रहा जो आज जहां में कितना प्रदूषण। उस दुनिया में एक्सप्लेनेशन फैल रहा जो आज जहां में कितना प्रदूषण।
मानव सारे बदल गए , मानवता को भूल। अवसर वादी हो गए , मार रहे हैं शूल। मानव सारे बदल गए , मानवता को भूल। अवसर वादी हो गए , मार रहे हैं शूल।
उनकी मोहब्बत का जादू आज भी समझ नहीं आया मुझे। उनकी मोहब्बत का जादू आज भी समझ नहीं आया मुझे।
खेल रत्न गिर पड़े गिरे नहीं... गिराए गए! खेल रत्न गिर पड़े गिरे नहीं... गिराए गए!