* कुंडलियां *
* कुंडलियां *
सपनेंं सजते हैं कभी , सपनें बने उड़ान।
सपनें व्यर्थ न जानिए ,सपनों में है जान।।
सपनों में है जान , बनें नींव का आधार।
सपना देखे बाद ,नए आते नित निखार।।
कह धीरू कविराय,सभी के सपने अपने।
पूर्ण करें प्रयास , कभी रह जाते सपने।।