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Randhir Singh Dheeru

Tragedy

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Randhir Singh Dheeru

Tragedy

अच्छे बुरे इंसान

अच्छे बुरे इंसान

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जाति धर्म के जाल में, जकड़ा हुआ समाज।

तुच्छ गैर को मानकर , खुद पर करता नाज़।।

खुद पर करता नाज़, भेद मानव में करता।

ऊंच नीच का जहर , जहन पीढ़ी के भरता।।

धीरू रहता राज , जीव कुछ अलग मर्म के।

भले बुरे इंसान , मिलें सब जाति धर्म के।।



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