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Randhir Singh Dheeru

Others

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Randhir Singh Dheeru

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कुंडलियां

कुंडलियां

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धोखा इधर बढ़ा हुआ, धोखा उधर अपार।

धोखे में जड़ कट रही, धोखे का है वार।।

धोखे का है वार, लगे धोखे का मजमा।

धोखे का उपहार, लगे धोखे का सदमा।।

कह धीरू कविराय, जीवन को किया खोखा।

नैया है मझधार, डुबा देता यह धोखा।।


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