None
जाति धर्म के जाल में, जकड़ा हुआ समाज। जाति धर्म के जाल में, जकड़ा हुआ समाज।
कह धीरू कविराय, लगा रहता है अर्जन। नफ़रत दे या प्यार ,ज्ञात हो जाता दुर्जन। कह धीरू कविराय, लगा रहता है अर्जन। नफ़रत दे या प्यार ,ज्ञात हो जाता दुर्जन।
झगड़ा होता है कभी, पति पत्नी के बीच। दिल का होता बोझ कम, अगर न उछले कीच।। झगड़ा होता है कभी, पति पत्नी के बीच। दिल का होता बोझ कम, अगर न उछले कीच।।
करुणा का सागर लिए, ममता की वह खान। कायनात में है नहीं , मां के और समान। करुणा का सागर लिए, ममता की वह खान। कायनात में है नहीं , मां के और समान।
सपनेंं सजते हैं कभी , सपनें बने उड़ान। सपनें व्यर्थ न जानिए ,सपनों में है जान।। सपनेंं सजते हैं कभी , सपनें बने उड़ान। सपनें व्यर्थ न जानिए ,सपनों में है जान...
जीना दूभर मान, कहें जो सीधा मुख पर।। जीना दूभर मान, कहें जो सीधा मुख पर।।
धोखा इधर बढ़ा हुआ, धोखा उधर अपार। धोखे में जड़ कट रही, धोखे का है वार।। धोखे का है वार, लगे धोखे क... धोखा इधर बढ़ा हुआ, धोखा उधर अपार। धोखे में जड़ कट रही, धोखे का है वार।। धोखे क...
कह धीरू कविराय, रंग सच्चा है हल्दी। बनकर तू शैतान, मचाता इतनी जल्दी।। कह धीरू कविराय, रंग सच्चा है हल्दी। बनकर तू शैतान, मचाता इतनी जल्दी।।