STORYMIRROR

Randhir Singh Dheeru

Inspirational

4  

Randhir Singh Dheeru

Inspirational

"मांं "

"मांं "

1 min
184

करुणा का सागर लिए, ममता की वह खान।

कायनात में है नहीं , मां के और समान।।

मां के और समान, जगत में लेकर आती।

पोषण निश्छल भाव ,भार बहुत वह उठाती।।

कह धीरू कविराय, वही आशा की अरुणा।

मिलता पहला ज्ञान ,रहे मां की ही करुणा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational