"दुर्जन"
"दुर्जन"
दुर्जन कभी न जाति से, धर्म न कभी महान।
वक्त न्याय करता सही, अमृत जहर पहचान।।
अमृत जहर पहचान, क्षीर में कितना पानी।
घट में छुपते भाव , छोड़ दे अमिट निशानी।।
कह धीरू कविराय, लगा रहता है अर्जन।
नफ़रत दे या प्यार ,ज्ञात हो जाता दुर्जन।।
