Bhoop Singh Bharti
Horror Tragedy
वर्ण व्यवस्था नै करी, माटी मळयामेट।
आकै म्हारे भीम नै, मेटी सभ अळसेट।
मेटी सभ अळसेट, भेद की भीत गिराई।
ऊँच-नीच की मूल, मनुस्मृति भीम जलाई।
लिख नया संविधान, बदल दी दीन अवस्था।
मानव करे समान, तोड़कै वर्ण व्यवस्था।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
सबल सक्षम धैर्य धीर पराक्रम पुरुषार्थ नेतृत्व महान है।। सबल सक्षम धैर्य धीर पराक्रम पुरुषार्थ नेतृत्व महान है।।
अपने प्राणों को समेटे कुछ बूढ़े अपने कभी न लौटने वाले युवा बेटों का इंतजार करते अपने प्राणों को समेटे कुछ बूढ़े अपने कभी न लौटने वाले युवा बेटों का इ...
बड़े घराने की औलाद जैसी दिखती थी जिसका नाम बड़े प्यार से महंगू ने चुनिया रखा। बड़े घराने की औलाद जैसी दिखती थी जिसका नाम बड़े प्यार से महंगू ने चुनिया रखा।
तुम मुझे याद करना जब तुम तन्हा हो जाओ। तुम मुझे याद करना जब तुम तन्हा हो जाओ।
जल, थल, नभ सर्वत्र इंसानी करतब लोभ, लालच में भूल चुका रिश्ते, सब जल, थल, नभ सर्वत्र इंसानी करतब लोभ, लालच में भूल चुका रिश्ते, सब
लोग अनोखे शहर अनोखा और बड़े अनोखे इनके त्यौहार।। लोग अनोखे शहर अनोखा और बड़े अनोखे इनके त्यौहार।।
मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया
यूँ बड़ी मैं क्यूँ हुई के सब लुटेरे बन गए यूँ बड़ी मैं क्यूँ हुई के सब लुटेरे बन गए
सामने दीवार बनकर हो जाये हम खड़े। सामने दीवार बनकर हो जाये हम खड़े।
कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर। कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर।
हृदय विदारक है तेजाबी हमला, हाय कैसे इसके क्रूर दंश से बचे अबला ? हृदय विदारक है तेजाबी हमला, हाय कैसे इसके क्रूर दंश से बचे अबला ?
नींद आती होगी कि नहीं॥ नींद आती होगी कि नहीं॥
गुत्थी सुलझ ना पाई आज तक उस रहस्यमयी रात की। गुत्थी सुलझ ना पाई आज तक उस रहस्यमयी रात की।
बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था। बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था।
खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले। खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले।
सुनसान सड़क तेज हवाएंँ हो रही थी बारिश की बौछार। सुनसान सड़क तेज हवाएंँ हो रही थी बारिश की बौछार।
अब वो दिन दूर नहीं जब, देह मेरा लावारिस शव कहलाएगा ।। अब वो दिन दूर नहीं जब, देह मेरा लावारिस शव कहलाएगा ।।
यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है कभी अम्मी जैसा ख़्वाब ... यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है क...
जल कर खाक हुई, आवाज़ें कहाँ से अब तक आती हैं। जल कर खाक हुई, आवाज़ें कहाँ से अब तक आती हैं।
आज उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है शायद उसे अपना बचपन याद आ रहा है आज उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है शायद उसे अपना बचपन याद आ रहा है