कुछ पल की खुशी
कुछ पल की खुशी
वह खुश थी, हम भी खुश थे,
उसके चेहरे की खुशी हम सब निहारते
मानो कदमों तले जन्नत आ गया ।
खुशी से उसका खिलखिलाना, मुस्कुराना,
हमें भी कभी-कभी कर देता दीवाना
और उसकी खुशी में हम सब कुछ भूल जाते ।
माँ बनने की बरसों की चाहत,
उसके मन की पूरी होने वाली थी
आज उसने हम सबको अच्छी खबर सुनाई थी ।
यह पल सबके लिए खास था,
इसे जीने का हमारा अलग अंदाज था,
थोड़े समय में सब कर लेने की इच्छा थी ।
हर एक के अलग सपने थे ,
नाना नानी, दादा दादी
सबकी ऑखों में चमक सी थी ।
फिर आया कोरोना का ऐसा दौर,
हर तरफ बिमारी का शोर
क्या करें क्या ना करें इसकी चिंता ने घेरा ।
कैसे सम्भाले उसे इस सब से,
होने लगी हिफाजत कुछ ज्यादा,
समय समय पर दवाईयों और जाँच ।
खान पान की पौष्टिकता बढ़िया गई,
फिर भी ना जाने क्या हुआ
एक दिन सब कुछ बदल गया ।
कोरोना ने उस बढते हुए प्राण को,
अपने हाथों में जकड़ लिया
बस एक ही पल में सब कुछ खत्म हो गया ।
हमारी इस कुछ पल की खुशी का ख़त्मा हो गया,
ना जाने किसकी नजर लग गई
कि आज तक हमारे ऑंसू रूके नहीं ।