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Harsha Godbole

Tragedy

4  

Harsha Godbole

Tragedy

कुछ पल की खुशी

कुछ पल की खुशी

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वह खुश थी, हम भी खुश थे,

उसके चेहरे की खुशी हम सब निहारते

मानो कदमों तले जन्नत आ गया ।


खुशी से उसका खिलखिलाना, मुस्कुराना, 

हमें भी कभी-कभी कर देता दीवाना 

और उसकी खुशी में हम सब कुछ भूल जाते ।


माँ बनने की बरसों की चाहत,

उसके मन की पूरी होने वाली थी 

आज उसने हम सबको अच्छी खबर सुनाई थी ।


यह पल सबके लिए खास था, 

इसे जीने का हमारा अलग अंदाज था, 

थोड़े समय में सब कर लेने की इच्छा थी ।


हर एक के अलग सपने थे ,

नाना नानी, दादा दादी

सबकी ऑखों में चमक सी थी ।


फिर आया कोरोना का ऐसा दौर,

हर तरफ बिमारी का शोर 

क्या करें क्या ना करें इसकी चिंता ने घेरा ।


कैसे सम्भाले उसे इस सब से, 

होने लगी हिफाजत कुछ ज्यादा, 

समय समय पर दवाईयों और जाँच ।


खान पान की पौष्टिकता बढ़िया गई,

फिर भी ना जाने क्या हुआ 

एक दिन सब कुछ बदल गया ।


कोरोना ने उस बढते हुए प्राण को,

अपने हाथों में जकड़ लिया 

बस एक ही पल में सब कुछ खत्म हो गया ।


हमारी इस कुछ पल की खुशी का ख़त्मा हो गया, 

ना जाने किसकी नजर लग गई 

कि आज तक हमारे ऑंसू रूके नहीं ।



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