मेरी होली
मेरी होली
मन है उतावला, मन है भारी
उनसे मिलने की कवायद है जारी।
चार दिन दिखा चाँदनी के नूर,
चले गये वह जंग पर मुझसे कोसों दूर।
कुछ में भी मन नहीं है लगता,
आंखों से आंसू की धारा बहती।
कुछ दिन के लिए तुम रूक जाते,
साथ -साथ बैठ मीठी बातें करते।
कुछ दिनों में आने वाली है होली,
सब तरफ होगी हंसी ठिठोली।
सब पर चढ़ेगा रंगों की चादर,
हर तरफ खुशियाँ, क्या अंदर क्या बाहर।
हर पेड़ पर नए -नए सुन्दर पत्ते,
हर डाल पर रंग बिरंगे फूल खिलते ।
आमों के फूलों की भीनी- भीनी खुशबू,
उस पर कोयल की मीठी कुहू-कुहू ।
सब दिखते हैं खुश और उत्साहित,
होली खेलने के लिए हर कोई लालायित।
सिर्फ मैं बैठी उनकी राह ताकते,
वो आये तो कुछ मुझ पे भी रंग बरसे।
अब तो तुम जल्द आ जाओ,
इस होली में भी रंग उड़ाओ,
चारों तरफ खुशियाँ फैलाओ,
याद रहेगी मुझे ऐसी होली मनाओ।