ओस से नहाई गेंदा की पत्तियाँ
ओस से नहाई गेंदा की पत्तियाँ
कुछ सर्द हवा एसी चली,
सब के तन मन को बेचैन कर गई।
क्या जीव क्या निर्जीव सबको,
ओस की चादर ओढ़ा गई।
इस सुहावने मौसम में मैंने देखा,
एक मनमोहक गेंदें का फूल।
ओस से नहाई उस पौधे की पत्तियाँ,
जैसे कुछ कहने के लिए निहार रही गेंदें के फूल को।
जाकर करीब मैंने छुना चाहा,
लगा मुझे फूल कह रहा हो।
हाथ न लगाना मेरी पंखुड़ियां को,
गिर जायेंगी ये बूंदे ओस की।
इस ठंड सर्द हवाओं ने,
कैसा समां है बिखेरा।
चारों ओर धुंध और कोहरे ने,
हर किसी को है घेरा।
इस छोटे से फूल ने,
बहुत कुछ सिखाया मुझे।
बंध के रहोगे अगर अपनों से,
कुछ न बिगड़ेगा दुश्मनों से।