ब्रदर सिस्टर मेमोरी
ब्रदर सिस्टर मेमोरी
आज रक्षा बंधन का है त्योहार,
छलक पड़ा भाई बहन का प्यार ।
थाल सजाई जब मैंने राखी की,
बचपन की कुछ तस्वीर आँखों के सामने थी।
गर्मी की छुट्टियों की वो दोपहर,
जब माँ का सोना इस कदर।
धीरे से रसोई में जाकर टटोलना,
वह बिस्कुट कि डब्बा खोलना ।
बिना आवाज बिस्कुट चुरा लेना
और किसी कोने में बैठकर खाना ।
जब शाम को पिता जी कुछ खाने को लाते,
उस पर हम भाई-बहन टूट पड़ते ।
मानो कभी वो चीज न देखी हो,
चाहे उसे कल ही क्यों न खाई हो।
गर्म जलेबी जब भी घर में बनती,
हम भाई-बहन की उस दिन खूब जमती।
एक दूसरे की जलेबी पर झपटना,
उसके टुकड़े चारों तरफ फैलाना।
याद आये जब भी ऐसे पल,
आँखों में आँसू करे छल- छल।