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Harsha Godbole

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Harsha Godbole

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कान्हा

कान्हा

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सुन्दर सुन्दर कान्हा 

व्यस्त हो गए कहाँ 

एक युग से नहीं दिखी 

कान्हा आपकी परछाई भी।


दर्शन आपके सौ सौ मोल के

आँखों में उतरने के लिए बेचैन से

मन रहता है भारी भारी 

हँसीं खुशी रूठ गई हमसे सारी।


डर और भय फिर से 

समा रहे अंदर सारे 

कान्हा कब होगी फुरसत आपको 

पुछोगे अपने भक्तों को।


इस कठिन दौर में 

कान्हा तुम्हारी ही आस

तुम्हें ढूँढते है सब अपने आस-पास 

कहते, दिला हमें इस संकट से मुक्ति ।


विषम परिस्थिति है आन पड़ी

डर भय से दुनिया है घिरी 

आओ कान्हा अपनी हँसीं बिखेरो

सारे भक्तों को गले लगा लो।


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