कुछ पल, अपने लिये
कुछ पल, अपने लिये
रहो यार, कुछ दिन घर पर,
घूमते ही रहते सदा यहां-वहां ।
कुछ पुराने शौक़ सवारों,
कुछ दिन, अपने- आपको पुकारो ।।
जब समय न था,
तब काम-काम करते ।
अब जब समय है,
तब भी काम-काम करते ।।
थोड़ा बच्चों के साथ कैरम खेलो,
घरवाली के साथ खाना बना लो ।
कुछ पुराने शौक़ संवारो,
कुछ दिन अपने-आपको पुकारो ।।
कल ग़लती से दूरियाँ बढ़ी,
कुछ दिन जानबूझकर दूरियाँ बढ़ाओ।
घर पर रहकर नाचो-गाओ,
किताबें पढ़ो, बच्चों को कहानी सुनाओ।
कुछ पुराने शौक़ संवारो,
कुछ दिन, अपने -आप को पुकारो ।
कुछ पल, अपने -आपके साथ बिताओ,
बच्चों के जैसे खेलों, बचपन में होकर आओ।
फोन पर, भूले-बिसरे रिश्तों से बात करो,
विपदा अति भयंकर, पर तुम बिलकुल न डरो।
कुछ धार्मिक बनो, कुछ सामाजिक,
सच पर चलो, भ्रम न फैलाओ।
अपने लिये सदा चाहा, अब औरों को चाहो,
गंभीर परिस्थिति है दोस्तों, घर पर रहो।
कुछ पुराने शौक़ संवारो,
कुछ दिन, अपने -आप को पुकारो ।।