कुछ नहीं जानता है इश्क़ !
कुछ नहीं जानता है इश्क़ !
ये जाति, धर्म, मजहब, संप्रदाय
अमीरी, गरीबी
बड़ा-छोटा
भेदभाव
कुछ नहीं मानता है इश्क़,
बस दिल कि
धड़कन को पहचानता हैं इश्क़,
सिर्फ प्रेम के आलावा
कुछ नहीं जानता है इश्क़ !
दो दिलों का मिलना
सुबह-सुबह
फूलो का खिलना,
पक्षियों कि चहचहाहट,
बचपन कि मुस्कराहट,
माँ के आने कि आहट,
दिल के गहरे
रिश्तों को पहचानता है इश्क़,
सिर्फ प्रेम के आलावा
कुछ नहीं जानता है इश्क़ !
वो सूरत सुहानी
खुशबू रूहानी,
डूबती दरिया
या मौजों की रवानी,
सपना, सच, हकीकत
या कहानी,
उसकी जुल्फों का झोंका,
हवा तूफानी,
आँखों के मोती
जैसे बारिश का पानी,
जलता बदन
जैसे चढ़ती जवानी,
क्या -क्या
कैसे -कैसे
ख्वाब सजाता है
इश्क़,
कुछ नहीं जानता है इश्क़ !