कुछ लोग
कुछ लोग
खुद को खुद से ही भुलाकर बैठे हैं लोग
पत्थरों के ऊपर यकीन कर बैठे हैं लोग
पर एकदिन उनका ये भरम टूट जायेगा
जिसदिन पत्थर से ये आईना टकरायेगा
कागज़ की कश्ती में जमकर बैठे हैं लोग
दरिया में रहकर भी प्यासे ही बैठे हैं लोग
किसी रोज़ तो ख़ुद से मुलाक़ात कर ले,
अपनी खुद की ही तहक़ीक़ात तो कर,
खुद की छलांग से,खुद के अभिमान से
खुद को मुर्दो से अलग कर बैठे हैं लोग!