कुछ गरम रिश्ते हम..
कुछ गरम रिश्ते हम..
आओ इस गुलाबी ठंड में
कुछ गरम रिश्ते बुने हम
इक बार फिर सेइक नये सिरे से
एक दूजे को चुने हम।
इक गुनगुनी सी गर्माहट लायें
अपने रिश्ते के बीच में हम
भूल कर सभी जर्द बातों को
करीब आयें इन सर्द रातों में हम।
कह डालें सारे शिकवे गिले
क्यूँ चुप रह कर सहें हम
जो दिल में थे जज़्बात कभी
चलो वो फिर से कहें हम।
होठों पर चाहे चुप सी हो
ऑंखों से हाले दिल बयॉं करें हम
एक दूजे को एक और मौका दें
क्यूँ तिल तिल कर जॉं दें हम।
आ जाये जीवन में गरमाहट
यूँ रिश्तों का दुशाला ओड़ लें हम
आओ इन सर्द हवाओं का मिलकर
फिर से रूख ही मोड़ दें हम।
आओ इस गुलाबी ठंड में
कुछ गरम रिश्ते बुने हम
इक बार फिर से इक नये सिरे से
एक दूजे को चुने हम।

