इक बार फिर से इक नये सिरे से एक दूजे को चुने हम। इक बार फिर से इक नये सिरे से एक दूजे को चुने हम।
उन्हें जीने दो मन की गाँठो के साथ, मैंने तो कब का उन्हे सुुुलझाकर! उन्हें जीने दो मन की गाँठो के साथ, मैंने तो कब का उन्हे सुुुलझाकर!
जब भी यादों का दुशाला ओढ़ कर चलता हूँ मैं। जब भी यादों का दुशाला ओढ़ कर चलता हूँ मैं।
जब सुबह की धूप प्यारी बांह मेरी थाम लेगी। जब सुबह की धूप प्यारी बांह मेरी थाम लेगी।