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Geeta Upadhyay

Drama

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Geeta Upadhyay

Drama

कठपुतली की तरह नचाते हैं

कठपुतली की तरह नचाते हैं

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डरी सहमी घबराई सी

कई सवालात आंखों में

छुपाई ही

कौन है यह इससे

आपका परिचय कराते हैं


सभी को हम नहीं

कहते पर कुछ

इस श्रेणी में आते हैं

इसका अस्तित्व क्या है

आप हर बार भूल जाते हैं


मां बहन बेटी कह कर बुलाते हैं

पत्नी तक का दर्जा दिलाते हैं

जुल्म करने पर ना कोई

हिचकिचाते हैं


खून के आंसू रुलाते हैं

महफिलों की रौनक बनाते हैं

चरित्र पर इसके लांछन लगाते हैं

नारी को ही नारी का दुश्मन बताते हैं

"कठपुतली की तरह नचाते है।"


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