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gyayak jain

Abstract

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gyayak jain

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क्षमा करना क्या सरल है ?

क्षमा करना क्या सरल है ?

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क्रोध की सुनते कहानी,

मान (अभिमान) हो उसपे जो भारी

बीच पिसता जीव जग में,

क्षमा करना क्या सरल है ?


बाह्य क्यों तू झाँक खुद में,

ज्ञान तो कैवल्य सम है,

साक्षात् भगवन मार्ग कहते,

चल पड़े तो समय कम है,

क्षमा करना क्या सरल है ?


बनता जो क्रोधित तू मनुष्य,

द्वीपायन सम तेज लिए है,

कर अरे जो क्रोध त्यागन,

वहीं तेरा जीवन सफल है,

क्षमा करना क्या सरल है ?


बहुत ऊँचे ख्वाब तेरे,

बहुत लिए संवेदनायें,

क्रोध-मान जब लगे फींके,

ज्ञान में तब क्षमा प्रबल है,

क्षमा करना क्या सरल है ?


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