कसम से
कसम से
तेरा नाम लबों तक आकर ,
कहीं गुम हो जाता है ....कसम से |
तू ख्वाब में मेरे आकर ,
कहीं छुप जाता है ....कसम से |
मैं दुनिया से ये कैसे कह दूँ ,
कि मैं तेरे दरस की दीवानी ,
मेरा दिल तेरी आहट पाकर ,
कहीं मचल जाता है ...कसम से |
तेरे नाम का मैं सजदा करती ,
रोज़ तुझे अपनी बाहों में भरती ,
तेरी एक झलक को देखकर ,
मेरा रुप निखर जाता है ....कसम से |
अपने इश्क का कोई दावेदार नहीं ,
ये तेरी - मेरी मर्जी की तकरार सही ,
तेरे सारे इशारों पर हार ये दिल ,
मेरा अंग बहक जाता है ....कसम से |
तेरा नाम लबों तक आकर ,
कहीं गुम हो जाता है ....कसम से |
तू ख्वाब में मेरे आकर ,
कहीं छुप जाता है ....कसम से ||