करती हूँ इंतज़ार
करती हूँ इंतज़ार
छोटी-छोटी इच्छाएं हैं मेरी
छोटी सी अश्रुधारा से
बनी हूँ मैं एक नदी
मेरे किनारो के नाम हैं,
स्वाभिमान और आत्मसम्मान !
मैं करती हूँ इंतज़ार,
एक जगमगाते दिये का
जो आ सके किनारो से
मँझधार तक मेरे पास,
और मेरे धड़कनो से जी कर
चल सके दूर तक मेरे साथ
छोटी सी इच्छा हैं मेरी
की वो जगमगाता दिया
कर सके सम्मानित मुझे
रोशन कर किनारो को मेरे
जहाँ मीठी रौशनी में
चाँदी सी भीगी रेत पर
कोई कर सके इंतज़ार
अपने सपने संजोने का,
स्वाभिमान और आत्मसम्मान
के साथ जीने का,
नदी के उस पार
और
दिया जलते रहे मँझधार में
मेरे लिए मेरे साथ दूर तक
मँझधार में...!
