तुम ही हो मेरी आराधना
तुम ही हो मेरी आराधना


देखो ज़िंदगी के उस छोर पर जहाँ
पलक झपकते मिलेगी कहानी वहाँ।
दिखेगा कोरे कागज़ पर
तस्वीर बनाना और फिर
रंगों से संजोना सँवारना।
मूरत बनाने को उनकी
रंगीन पत्थर भी तराशना
फिर पुकारना- तुम्हीं हो
तुम्हीं हो- मेरी आराधना।
यकीन नहीं गूँज पर हुआ
और वक़्त गुजरने के बाद
ज़रा दिल से जब वहाँ देखा,
तब परछाई के सीने पर भी
एक तस्वीर ही बनी मिली
ज़िंदगी के उस छोर पर
मिली अपनी ही कहानी वहाँ।।