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Shanti Prakash

Romance

5.0  

Shanti Prakash

Romance

आँचल की छाँव

आँचल की छाँव

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400


याद है आज भी

ज़िंदगी के एक मोड़ पर

सूर्य की तपिश और उनका

आँचल की छाँव में जीना।


याद है फिर कभी

सांझ की वो शांत सी धूप

जिसका ज़ुल्फ़ों से छनकर

चेहरे पर बिखरना और

फिर उनका गुनगुनाना।


याद है आज भी

सांसों की आवाज़

बिखरी सी खामोशियों में भी,


जैसे हो डाली से

टूटे पत्ते का दर्द

जो देता संदेश

फिर उनके आने का,


और ज़िंदगी के

इस मोड़ पर भी

आँचल की छाँव में जीने का।।


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