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Shanti Prakash

Romance

5.0  

Shanti Prakash

Romance

आँचल की छाँव

आँचल की छाँव

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याद है आज भी

ज़िंदगी के एक मोड़ पर

सूर्य की तपिश और उनका

आँचल की छाँव में जीना।


याद है फिर कभी

सांझ की वो शांत सी धूप

जिसका ज़ुल्फ़ों से छनकर

चेहरे पर बिखरना और

फिर उनका गुनगुनाना।


याद है आज भी

सांसों की आवाज़

बिखरी सी खामोशियों में भी,


जैसे हो डाली से

टूटे पत्ते का दर्द

जो देता संदेश

फिर उनके आने का,


और ज़िंदगी के

इस मोड़ पर भी

आँचल की छाँव में जीने का।।


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લોગિન

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