स्पंदन
स्पंदन
ज़िंदगी के फलसफा,
बने जो दिल की धड़कन,
शब्दों में बयान कर,
अपनी कलम से !
लाया हूँ सम्मुख आपके,
स्पंदन के रूप में,
काश...
उन्हेँ छू कर जो आई हवा,
इल्तिजा है,
वो मेरी सांस बने !
उनकी चाहतों में ही,
प्यार कर जियें इस तरह,
उनकी चाहतों में ही,
जीने की चाह उमड़ पड़े !