कर्म से कोरोना
कर्म से कोरोना


हे ! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहि- त्राहि मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हे ! मानव,
प्रकृति को भूल कर,
तोड़ी तुमने मर्यादा l
मार पड़ी जब प्रकृति की,
तो हो गया हक्का - बक्का ll
हे ! मानव,
तुम हल्के में नहीं लेवे,
कोरोना की महामारी को l
इटली और चाइना की तबाही,
देख रोके नहीं रुकती ll
हे ! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहि- त्राहि मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हे ! मानव,
बच्चे, बूढ़े और बेघर का,
तुम्हें रखना है ख्याल l
सभी रहे अपने घर,
कोरोना का है इलाज ll
हे ! म
ानव,
नहीं होवे जनहानि,
कोरोना की महामारी से l
अफवाहों को न फैलाएं,
अफवाहें हैं बड़ा वायरस ll
हे ! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहि- त्राहि मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हे ! मानव,
संबंधों में थी दूरियाँ,
पहले से ही गहरी l
कोरोना के वायरस से,
गहरी हो गई और दूरियाँ ll
हे ! मानव,
स्वच्छता और एकांतपन है,
कोरोना का बचाव l
समय नहीं है घबराने का,
सतर्कता का दे सुझाव ll
हे ! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहि- त्राहि मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll