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कुमार जितेन्द्र जीत

Tragedy

4.7  

कुमार जितेन्द्र जीत

Tragedy

कर्म से कोरोना

कर्म से कोरोना

1 min
717


हे ! मानव, 

कैसा कर्म कर लिया तुमने, 

कोरोना को जन्म देकर l 

त्राहि- त्राहि मचाया तुमने, 

कोरोना को फैलाकर ll 


हे ! मानव, 

प्रकृति को भूल कर, 

तोड़ी तुमने मर्यादा l 

मार पड़ी जब प्रकृति की, 

तो हो गया हक्का - बक्का ll


हे ! मानव, 

तुम हल्के में नहीं लेवे, 

कोरोना की महामारी को l 

इटली और चाइना की तबाही, 

देख रोके नहीं रुकती ll 


हे ! मानव, 

कैसा कर्म कर लिया तुमने, 

कोरोना को जन्म देकर l 

त्राहि- त्राहि मचाया तुमने, 

कोरोना को फैलाकर ll 


हे ! मानव, 

बच्चे, बूढ़े और बेघर का,

तुम्हें रखना है ख्याल l 

सभी रहे अपने घर, 

कोरोना का है इलाज ll 


हे ! मानव, 

नहीं होवे जनहानि, 

कोरोना की महामारी से l 

अफवाहों को न फैलाएं, 

अफवाहें हैं बड़ा वायरस ll     


हे ! मानव, 

कैसा कर्म कर लिया तुमने, 

कोरोना को जन्म देकर l 

त्राहि- त्राहि मचाया तुमने, 

कोरोना को फैलाकर ll 


हे ! मानव, 

संबंधों में थी दूरियाँ, 

पहले से ही गहरी l 

कोरोना के वायरस से, 

गहरी हो गई और दूरियाँ ll 


हे ! मानव, 

स्वच्छता और एकांतपन है, 

कोरोना का बचाव l 

समय नहीं है घबराने का, 

सतर्कता का दे सुझाव ll 


हे ! मानव, 

कैसा कर्म कर लिया तुमने, 

कोरोना को जन्म देकर l 

त्राहि- त्राहि मचाया तुमने, 

कोरोना को फैलाकर ll



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