कुमार जितेन्द्र जीत
Drama
हे ! प्राणी,
अपने नन्हें कदम रोक दीजिए !
अंनंत उजाला होगा जीवन में
कोरोना को जड़ से मिटाए !
चार चाँद लगेंगे अनमोल जीवन में।
अंधेरे में इं...
हम भारत के है...
सवेरा
बेटी हूँ
माँ की अभिलाष...
वतन हमारा
पर्यावरण संरक...
कृत्रिम संकल्...
चार कदम
मुझे खुशी होगी तब, जब इस देश से इन शत्रुओं का, नामोंनिशान मिटाकर, आराम से धरती की गोद में, मिट्टी मे... मुझे खुशी होगी तब, जब इस देश से इन शत्रुओं का, नामोंनिशान मिटाकर, आराम से धरती क...
जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है । जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है ।
कितनी बार ? वही पुरानी बात वही हालात कहूँ मैं... कितनी बार ? वही पुरानी बात वही हालात कहूँ मैं...
इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी। इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी।
न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है। न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है।
दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...। दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...।
पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ। पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ।
एकांत में भी हिन्दी को अपने पास ही पाया... एकांत में भी हिन्दी को अपने पास ही पाया...
ये 'बाबुल' सदा तेरे साथ है, जब-जब याद करेगी, अपने आस-पास ही पाएगी... ये 'बाबुल' सदा तेरे साथ है, जब-जब याद करेगी, अपने आस-पास ही पाएगी...
अब डर नहीं लगता, किसी के दूर जाने का, अब दिल नहीं करता, किसी से जुड़ जाने का...! अब डर नहीं लगता, किसी के दूर जाने का, अब दिल नहीं करता, किसी से जुड़ जाने का...!
देख-ए-इंसान, तेरे देश का हाल क्यूँ बदहाल है... देख-ए-इंसान, तेरे देश का हाल क्यूँ बदहाल है...
ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म नहीं पूछा मज़ारों में... ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म ...
मैं शब्दों की दुनिया में आया हूँ मनुष्य जाति की ओर से उनका शुक्रिया अदा करने। मैं शब्दों की दुनिया में आया हूँ मनुष्य जाति की ओर से उनका शुक्रिया अदा करने।
हाँँ ! वो उड़ना चाहती है उड़ना चाहती है गिरना चाहती है गिरकर उठना चाहती है पर वो रुकना नही चाहती, बस व... हाँँ ! वो उड़ना चाहती है उड़ना चाहती है गिरना चाहती है गिरकर उठना चाहती है पर वो र...
अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर ! अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर !
इस द्रौपदी की गिरधारी तक काहे ना पहुंचे पुकार है, इस द्रौपदी की गिरधारी तक काहे ना पहुंचे पुकार है,
मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...! मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...!
मैंने इंसान की जान को कुछ रुपयों में बिकता देखा है मैंने एक हसीन ज़माने को तहस नहस होता देखा है...... मैंने इंसान की जान को कुछ रुपयों में बिकता देखा है मैंने एक हसीन ज़माने को तहस...
मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे। मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे।