अंधेरे में इंसान
अंधेरे में इंसान


स्वच्छ मन में , स्वार्थ और ईर्ष्या से !
आधुनिक इंसान में ,पनप रहा है अंधेरा !
पनपे रहे अंधेरे से, दरारे आ गई संबधों में !
प्रेम की परिभाषा अब , हो गई है कोसो दूर !!
दूरियाँ बढ़ने से , बदल रहा है सुन्दर सा तन !
चेहरे की मुस्कुराहट को , छीन गया अंधेरा !!
स्वच्छ मन में , स्वार्थ और ईर्ष्या से !
आधुनिक इंसान में ,पनप रहा है अंधेरा !
चंद पैसो की लालच में , हो रहा है बालश्रम !
अनमोल बचपन को , छीन रहा है बालश्रम!!
अज्ञान के आवरण में , फैल गया है अंधेरा !
मुस्कुराते बचपन को, छीन रहा है अंधेरा!!
स्वच्छ मन में ,
स्वार्थ और ईर्ष्या से !
आधुनिक इंसान में ,पनप रहा है अंधेरा !
शिक्षित लोग,कन्या के महत्व को समझ नहीं पाए!
लड़के की चाहत में ,कर रहे है कन्या भ्रूण हत्या !!
शिक्षित होते हुए भी , छाया फैली है अंधेरा की !
धन्य है अनपढ़ लोग, नहीं कर रहे हैं भ्रुण हत्या !!
स्वच्छ मन में , स्वार्थ और ईर्ष्या से !
आधुनिक इंसान में ,पनप रहा है अंधेरा !
आधुनिकीकरण के चक्कर में , कट रहे है पेड़ !
अपने अस्तित्व को बचाने में , तरस रहे हैं पेड़ !!
अंधेरे के आवरण में,डूब गया है आधुनिक इंसान !
पर्यावरण संरक्षण को, नहीं समझ रहा है इंसान !!