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chandraprabha kumar

Action Inspirational

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chandraprabha kumar

Action Inspirational

कर्म फल

कर्म फल

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 कृष्ण ने दी झिड़की अर्जुन को

कर्म के फल को न सोचो, बढ़े चलो, 

ज्ञानी पर हत्या का अपराध नहीं

भले ही तुम स्वस्थ न हो , बढ़े चलो। 


महाभारत का एक लघु अंश भगवद् गीता

इसमें दो परस्पर विरोधी नैतिक पक्षों का टकराव

कृष्ण का आग्रह कर्तव्य के निर्वाह पर

अर्जुन का विचार दुष्परिणामों से बचने पर। 


युद्ध के उपरान्त ध्वस्तप्रायः सिन्धु गंगा का क्षेत्र

अर्जुन द्वारा व्यक्त की गई गहन

आशंकाओं का पुष्टीकरण प्रतीत होता है 

इसकी भीषण दुर्दशा का निरूपण। 


भगवद्गीता का संदेश कुछ भी रहा हो

अर्जुन के युद्ध विषयक तर्कों को

पूरी तरह से पराजित नहीं माना जा सकता

सकुशल बने रहने का तर्क दुर्बल नहीं हुआ है। 


बाद में युधिष्ठिर का पश्चात्ताप 

और सिंहासन ग्रहण करने से मना करना

समझाया जाना भीष्म पितामह द्वारा

 फिर भी मन वेदना व्यथित रहना। 


अंत में सिंहासन सौंप परीक्षित को 

महाप्रयाण को निकल पड़े हिमालय की ओर,

कर्तव्य के पक्ष में हों चाहे सशक्त कारण

नहीं कर सकते परिणामों की अनदेखी। 


कृष्ण द्वारा कर्म सम्पादन का आग्रह 

अर्जुन द्वारा कर्म प्रभाव का विश्लेषण,

गीता सही अर्थों में दार्शनिक गीत है

जिसका सम्पोषण हो विशद तर्क ज्ञान से। 



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