कोशिशें
कोशिशें
जो बरसों से अधूरी है अधूरा उसको रहने दे,
प्यास दिल की मेरे साक़ी अभी बाकी ही रहने दे।
नही तुझसे मुझे कोई शिकायत और गिला कोई,
पिघलते अश्क़ों को बरसात का पानी ही कहने दे।
बन के नासूर रिसते है जो दिल के ज़ख्म वो यारा,
मोहब्बत की निशानी हैं इन्हें कुछ और सहने दे।
खुदा को खत वो जितने भी तेरे सदके लिखे मैंने,
दुआओं के वो मोती हैं उन्हें बिखरा ही रहने दे।
हजारों कोशिशें कीं पर तेरी यादें न धुंधलाई,
है बाकी अब यही ख्वाईश मुझे नाकाम रहने दे।
कोई तो होगी मजबूरी जो कांटें चुन लिए तुमने,
लहू तेरी निगाहों का मेरी आँखों से बहने दे।
“मणि” वो कोशिशें तेरी जख्म दिल के छुपाने की,
मैं पर्दे में ही रखूँगा मगर खुद से तो कहने दे।