कोरोनो " ये कैसा रोग आया है "
कोरोनो " ये कैसा रोग आया है "
ये कैसा रोग आया है
दवा नहीं है कहीं पर इसकी ।
मानव बहुत घबराया है
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
कोरोनो के नाम पर
जगह - जगह पर कर्फ्यू है ।
फैल चुका है विश्व में
डॉक्टर भी घबराया है
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
क्या भूल हुई थी मानव से
जो तुमने ये सब अपनाया है
सारी ही पृथ्वी पर देखो
बस कोरोनो ही आया है ।
जगह-जगह पर ढूंढा पर
इलाज कहीं ना पाया है
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
जो भगवान मानते थे खुद को
वो आज घरों में बैठे हैं ।
कोरोनो के डर से ही
घुटने उनके टूटे टूटे हैं
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
बंद हो चुकी आंखें मानव की
इंसानियत मर चुकी है सब की
बचा नहीं कुछ दया - भाव अब ।
लूट रहे , हे कुछ दरिंदे अब
इज्जत , मां , बहन , की
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
भूल, चुके थे ईश्वर को सब
डॉक्टर को भगवान बनाया था
बेशर्म हो गई थी मानवता
जीवों को आहार बनाया था ।
फिर ढूंढ रही दुनिया सारी
कि ' कोरोनो कहां से आया था
हे ईश्वर ये कैसा रोग आया है ।।
