पिता क्या है ?
पिता क्या है ?
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने .......
जानेगा जिससे जग, वो पहचान है पिता
कभी हँसी और खुशी का मेला है पिता
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात
सब कुछ समेट कर आसमान सा फैला है पिता
कभी हँसी तो कभी अनुशासन है पिता
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता,
माँ अगर घर में रसोई है ....
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता
मेरा साहस मेरी इज़्ज़त मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत मेरी पूंजी मेरी पहचान है पिता
जेठ की धूप में रेगिस्तान है पिता
माथे पे टपकती पसीने की बूंद है पिता
घर पर जलती हुई लाइट है पिता
गृहस्थी की असली फाइट है पिता
कोने में दबी चावल की बोरी है पिता
मां के गले की डोरी हे पिता
अगर देखा जाये तो परिवार के भगवान है पिता