STORYMIRROR

कुमार जितेंद्र

Tragedy

4  

कुमार जितेंद्र

Tragedy

कोरोना काल में...

कोरोना काल में...

1 min
23.1K

बंद हैं मंदिर मस्ज़िद, गिरिजाघर गुरुद्वारे

सेवा में लगे हैं, भगवान सारे


गहन मंथन से निकली, है रियायत थोड़ी

है रखना जरूरी, दो गज की दूरी


ध्यान रखना वो जुड़ने में , सबसे कुशल है

मुख पे मास्क, धोवे हाथ, वही सकुशल है।


बड़ी मिन्नतों से, मदिरालय खुले

प्यासे भक्त पंक्ति में, पसीने- पसीने


सोशल डिस्टेनसिंग की, धज्जियाँ उड़ाते

विवश प्रशासन के, छक्के छुड़ाते


परम भक्तों का हाल, सबसे बुरा है

किन- किन को उठायें, कारवाँ बड़ा है।


फंसे बांधवों को, हो रहा पास जारी

क्वरेंटाइन में रहना, चौदह दिन मजबूरी


अलग समाज से हैं, अपनों की ख़ातिर

भूल से भूल हो ना, है संयम जरूरी


विशेष ट्रेन से घर, श्रमिक आ रहे हैं

विदेशों से अपने, विमान ला रहे हैं।


पीड़ा के पानी, बहे नयनों से

जननी को चूमकर, चले हौले- हौले


स्वजनों से मिलकर, सुकूँ पा रहे हैं

कोरोना काल में, फ़िर से मुस्का रहे हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy