STORYMIRROR

अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Tragedy

4  

अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Tragedy

कोरोना काल के दोहे

कोरोना काल के दोहे

1 min
60


टिड्डी दल भटके नहीं, कैसे भटकी रेल।

सीधी पटरी में चले, तब भी रेलम पेल।


मज़दूरों के नाम से, लेट लतीफी काम।

यही सदा दिखता यहां, सरकारी अंजाम।


लाॅक डाउन बस नाम का, दोनों हाथों छूट।

कोरोना आमंत्रित करें, लूट सके तो लूट।


जन्म मृत्यु का आंकड़ा हुआ बहुत बेमेल।

मृत्यु चढ़ी है सरग में, जन्म में पड़ी नकेल।


डेढ़ लाख के पार हम, खोलें संकट द्वार।

हर तरफी से पड़ रही, असहनीय अब मार।


सतना बढ़ा है शून्य से, किया बीस को पार।

बच्चों को ना दिखाइये, बचकाना व्यवहार।


सरे आम ही ठग गये, ये मजबूर किसान।

विपदा में जारी हुये, प्रशासन केर बयान।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy