जब तक सपने नहीं बुनोगे...
जब तक सपने नहीं बुनोगे...
जब तक सपने नहीं बुनोगे, सच वो कैसे हो पाएंगे।
साहस भरकर नहीं चले तो, जीते जी सब मर जाएंगे।
समय पुकारे उठकर जागो, रीत नई तुम रच डालो।
कांधे ने जो बोझ लिया है, मरते दम तक उसे सम्हालो।
हार को लेकर हार गए तो, काल योग लग जाएंगे।।
जब तक सपने नहीं बुनोगे, सच वो कैसे हो पाएंगे।।
जिस माहौल को हमने देखा, घोर निराशा छाई है।
आशा की किरण दुबकी बैठी है, जीवन की हरजाई है।
आपाधापी नहीं मिली तो, सपने ना पल पाएंगे।।
जब तक सपने नहीं बुनोगे सच वो कैसे हो पाएंगे।।
उम्र बढ़ी तो बचपन छूटा, और जवां दिल जवां हुआ।
एक से दो और दो से आगे, जीवन का परचम तना हुआ।
सांसों के बंधन ना छोड़ो, एकांत में ना रह पाएंगे।
जब तक सपने नहीं बुनोगे सच वो कैसे हो पाएंगे।।