पैरों को बाँध लिए
पैरों को बाँध लिए
बाधाएँ, दुख की सीमाएँ
पैरों को बाँध लिये।
पर हमने उद्देश्यों को
मन से साध लिये।
अपने अपने कारण हैं
अपने नए निवारण हैं।
अपनी बाधाएँ बनी हुई
किये हुए हम धारण हैं।।
कदम यहाँ चलने को आतुर
साहस निर्वाध लिये।
बाधाएँ, दुख की सीमाएँ
पैरों को बाँध लिये।।