कोरोना काल और हम लोग
कोरोना काल और हम लोग
इस असार संसार में ,सतत् होता रहता है बदलाव
मगर कोरोना काल में हुआ है ,इसका भिन्न प्रभाव
एक समय का अलग जन, करते हैं अलग ही प्रयोग
सुअवसर है कुछ एक को, तो कुछ को भयावह रोग
घरों में यह मांग थी,आफिस से लेवें छुट्टी कुछ और
उन कर्मियों के परिजन बहुत, हो गए उनसे हैं बोर
कुछ ने तो बड़ी ही जुगाड़ से,है बचा रखी निज नाक
कलह-क्लेश और युद्ध संग,आ गई है नौबत-ए- तलाक
अल्कोहल रिपु कोविड का बड़ा,कह कर रहे कुछ उदरस्थ शराब
नाश तन-मन-धन हैं करें,कुछ निर्मित कर रहे संबंधों की किताब
बद हालत उपजें नहीं अस,अपनाइए नीर-क्षीर का विवेक
शुभ अवसर है हमको सही,सुलझा लें समस्या हम हर एक
कुछ रिश्तों और शौकों को बहुत,पीड़ित करता था समयाभाव
शुभ अवसर आपके हाथ है , लाभ लीजिए इसका उठा जनाब
सक्रिय रखनी है निज देह पर,योग संग रखिए स्थिर चित्त बनाय
दस दिशाओं से खुशियां मिलें, समस्या कभी कोई निकट न आय
विविध स्रोतों से ज्ञानार्जन करके , बनाइए निजी खुद अपनी राय
विद्या- विनय- विवेक जो तज दिया, फिर कोऊ होता नहीं सहाय
सबका जिनसे कल्याण हो सदा, अनवरत करते रहिए ऐसे काम
हर जन प्रभु संग देगा मदद, शुभता भाव से लगे रहें अविराम।