कोई नहीं जानता
कोई नहीं जानता


ज़िंदगी के फलसफ़े भी अजीब हैं
दिल कब, कहाँ, किससे लग जाये
कोई नहीं जानता
रोकेंगे भी बहुत, टोकेंगे भी बहुत
पर कब हाथ से फिसल जाये
कोई नहीं जानता
चाहोगे जितनी दूरी उससे
कैसे वो आपकी आदत बन जाये
कोई नहीं जानता
ज़िंदगी के फलसफ़े भी अजीब हैं
दिल कब, कहाँ, किससे लग जाये
कोई नहीं जानता
रोकेंगे भी बहुत, टोकेंगे भी बहुत
पर कब हाथ से फिसल जाये
कोई नहीं जानता
चाहोगे जितनी दूरी उससे
कैसे वो आपकी आदत बन जाये
कोई नहीं जानता