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Geeta Upadhyay

Romance

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Geeta Upadhyay

Romance

कोई कैसे नहा गया

कोई कैसे नहा गया

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मिलता जो मुकद्दर तो

पूछते हम क्यों तकदीर बनाने

वाले ने किया सितम 

कितना भी बहलाएं खुद को

फिर भी शायद दूर 

नहीं होगी यह घुटन 

मिटने तक का जज्बा 

लेकर फिरे हम 

पर मिटाने वाले को 

ही रहम आ गया

जो शमां बुझ न पाई तूफानों में

जाने कौन उसे एक 

फूंक में बुझा गया

हंसी आती है यह सोच के 

सूखे दरिया में 

"कोई कैसे नहा गया। "

    


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