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Sumit Malhotra

Romance

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Sumit Malhotra

Romance

प्यार जुदाई और दीवानगी

प्यार जुदाई और दीवानगी

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जरा-जरा सी हल्की-हल्की सी उनकी कमी है,

कभी आते हैं पास तो कभी हो जाते हैं दूर।

जब-जब देखते हम उनको तो खिल जाता हमारा चेहरा,

ना देखे उन्हें लगता बसंत में भी पतझड़ का मौसम आ ठहरा।

वो हर पल हर लम्हा हर क्षण कितना है प्यारा,

जिसे बांधा है इस रिश्ते में वो कितना सच्चा है।

एक दो तीन और चार और इन चार दिन में समाया प्यार,

क्या होगा पढ़कर जो प्यार ना समझे प्यार।

जैसे घड़ी नहीं चल पाती बिना सैल यार,

हमारा दिल भी घड़ी है जो उनके प्यार रुपी सैल बिना बेकार।

साया बनकर मोहब्बत अपनी हम निभायेंगे,

जीते-जी ना सही तो मरकर अपना प्यार का फर्ज निभायेंगे।

प्यार होता है पगला और दीवाना ये सारी दुनिया ने माना,

फिर प्यार का दुश्मन क्यों जमाना जाने कि शमा पर क्यों मिटता परवाना।



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