STORYMIRROR

Shital Yadav

Romance

3  

Shital Yadav

Romance

यादों के सहारे

यादों के सहारे

1 min
200

इन यादों के सहारे ज़िंदगी गुज़रने लगी है

बिगड़ी थी तक़दीर अब यूँ सँवरने लगी है


डूब चुकी तसवीर स्याह ऐसी तन्हाइयों में

सहर से ख़्वाहिशें दिल की निखरने लगी है


आसान नहीं सँभालना जज़्बात आँखों में 

बनकर मुस्कान ख़ूशबू सी बिखरने लगी है 


तेरी यादों को ही मान लिया हमसफ़र मैंने 

दर्द भरी ग़मज़दा बातों को बिसरने लगी है !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance