यादों के सहारे
यादों के सहारे


इन यादों के सहारे ज़िंदगी गुज़रने लगी है
बिगड़ी थी तक़दीर अब यूँ सँवरने लगी है
डूब चुकी तसवीर स्याह ऐसी तन्हाइयों में
सहर से ख़्वाहिशें दिल की निखरने लगी है
आसान नहीं सँभालना जज़्बात आँखों में
बनकर मुस्कान ख़ूशबू सी बिखरने लगी है
तेरी यादों को ही मान लिया हमसफ़र मैंने
दर्द भरी ग़मज़दा बातों को बिसरने लगी है !