एहसास
एहसास
तुम हो सुबह मेरी शाम मेरी ,
जिंदगी का इनाम मेरी ...
जिसे देखकर सपनों में भी रुक जाता हूँ ,
तुम हो वोही विराम मेरी ।
तुम हो मुस्कान का जहान मेरी ,
जिंदगी में मेहमान मेरी ....
जिससे साँसों में महक उठे खुशबु ,
तुम हो वोही गुलिस्तान मेरी ।
तुम हो अंधेरो में उजाला मेरी ,
रात का हो चाँद मेरी ...
जिसकी होती मंदिरों में पुजा अर्चना
तुम हो वोही मुर्त मान मेरी ।
तुम हो आवाज अदांज मेरी ,
जिंदगी को जोड़ता राग मेरी ...
जो नाचे गूंजे हृदय के तल पर
तुम हो वोही जीवन आधार मेरी ।