छुपन-छुपाई
छुपन-छुपाई
चलो आज खत्म करते हैं
ये चूहा-बिल्ली जैसी दौड़
ये छुपन-छुपाई जैसा खेल
ये आँख-मिचौनी जैसी बातें,
सोचती हूँ आज याद नहीं
करूंगी पूरे दिन तुम्हें
सोचती हूँ आज कोई एहसास
भी न आने दूंगी अपने पास
सोचती हूँ आज नहीं देखूंगी
कोई बीता हुआ ख्याब,
पर ये क्या आज पूरा दिन
अपने को यही बताने में
तुम याद आते रहे कि
आज तुम्हें याद नहीं करना है!